गरुड़ पुराण : महामारी में अकाल मृत्यु मरने वालों को कैसे मिलेगी मुक्ति?
नमस्कार मित्रो हम आपका हार्दिक स्वागत करते हे। मित्रो हम सभी देखते हे की महामारी के कारण पूरी दुनिया मे हा हा कारी मचा रही हे। रोज हजारो लोग असमय पर मुर्त्यु हो जाते हे। कितने लोगो को मुर्त्यु के बाद उस मृत देह को पानीमे उसकी अंतिम विधाय देते हुहे हमने देखा हे। एसमे आपके मनमे ये सवाल उठने लगा होंगा की कैसे हिन्दू धर्म के अनुसार किसी की अकाल मुर्त्यु हो जाए तो या फिर पूरे विधिविधान के साथ जो मृतदेह का अंतिम संस्कार नहीं दिया जाये तो क्या उसे मुक्ति मिल जाती हे। तो मित्रो आपको बतादु की गरुड पुराण मे एसी स्थित मे क्या करना चाहिए इसका भी पूरा वर्णन किया गया हे । हम आपको आज बताने जा रहे की अगर कोई इंसान की मृत्यु महामारी के सक्रमण से हो जाती हे तो या फिर आँय कारण से हो जाती हे तो आसामी पर उयस्की मुर्त्यु हो जाती हे तो क्या करना चाहिए जिससे उसको जल्दी जल्दी ही मुक्ति हो सके।
मित्रो महामारिमे लाखो परिवारोको तबहा करके रख दिया। लाखो लोग असमय पर ही मुर्त्यु का भोग बन गए हे। एसमे गरुड पुराण मे बताया गया की जब कोई व्यक्ति की मुर्त्यु कोई महामारी कोरोनाकाल से हुही हे, या फिर कोई हिंचक पशुओ से उयस्की मौत हो गयी हो , या फिर आत्माहत्या करनेसे हो जाती हे तो एसे मुर्त्यु को अकाल मुर्त्यु से जाना जाता हे। अर्थात गरुड पुराण मे भगवान श्री कृष्ण कहते हे की मनुष्य का जीवन सांत चक्रो मे विभाजित होता हे। यदि आप इन सात चक्रो मे पूरा करने से पहले आपकी मुर्त्यु हो जाती हे तो उसे ही अकाल मुर्त्यु जाना जाता हे। एसी मूर्त आत्मा को मुर्त्यु के बाद उसको पुथवि से लेकर यम लोक पर कि यात्रा मे कई सारे कष्ट भुगतने पड़ते हे। गरुड पुराण के सींहावलोकन के अध्यामे बताया गया हे की जीस मनुष्य या प्राणी मुर्त्यु की प्राकृतिक रूप से होती हे वो तीन,दस,तेरा ओर चालीस दिनमे वो दुसरा शरीर धारण कर लेता हे। लेकिन जब किसी की मुर्त्यु किसी महामारी से होती ये उस मुर्त्यु कि आत्मा पुथ्विलोक पर तबतक भटकती रहती हे जबतक वे प्रकृति के द्रारा निर्धारित अपना जीवनचक्र पूरा नहीं कर लेती एसी आत्मा को न तो स्वर्ग मे जाती हे न तो नर्क मे जाने देती हे। मृत की आत्मा को इस व्यवस्था को अगति कहा जाता हे।
आगे भगवान श्री कृष्ण कहते हे की अकाल मुर्त्यु मे आत्मा हत्या बहुत ग्रहीत होती हे ओर आत्मा हत्या करनेवाली आत्मा सभी आत्मा मे सबसे ज्यादा कष्टदायी अवस्था मे पहोस्ता हे। असमय यानि महामारि मुर्त्यु को प्राप्त करने वाली आत्मा अपनी तमाम इच्छा यानि की प्यास, भूख, समभोग सुख राग, क्रोध, लोभ, वासना आदि पूर्ति के लिए अंधकारमे तबतक भटकती हे जबतक उनका परमात्मा के द्रारा निरधारित उसका जीवन चक्र पूरा नहीं हो जाता। मित्रो अब आपके मनमे ये सवाल उठ रहा होंगा की आखिर किसी इंसान की मूर्ति होती हे क्यू ? तो हम आपको इसका भी वर्णन आपको दिखा देंगे। जिसके अनुसार किसी व्यक्ति की स्वाभाविक मुर्त्यु निकट आती हे तो उसे दिव्यद्रष्टि मिलजाती हे ओर उसे आभास हो जाता हे कि उसकी मुर्त्यु होनेवाली हे ओर कूस ही देर मे उसकी आत्मा शरीर से अलग से हो जाती हे। वेदोमे ये भी कहा गया हे की मनुष्य 100 वर्ष तक जीवित रह सकता हे। यदि जो व्यक्ति निदीन्त कर्म करता हे वो व्यक्ति शीग्र ही उसका विनाश हो जाता हे। जिसको वेदो का ज्ञान न होने कारण ओर परंपरा का सदा पालन नहीं करता हे , जो अपने कर्म का सही तरघ से पालन नहीं करता हे, जो सदय बुरे कर्म श्रेष्ट मानता हे तो, जो जिसभी घरमे भोजन करा लेता हे, जो व्यक्ति दूसरे की पत्नी की वासना का मोह रखता हे। इस तरह मनुष्य की आयु चीन हो जाती हे। श्रद्धाहीन अपवित्र नास्तिक मंगल का परित्याग करने वाले, परद्रोही परक्रम सतवादी ब्रामहन मुर्त्यु अकाल मे ही यम लोक लेकर ले जाति हे। इसके अलावा राजा मनौशी की रक्षा नहीं करता हे तो, धर्माचरण ही क्रूर, व्यसनी, मूर्ख, वेदनुशाशन से पृथुक ओर प्रजा पीड़ित हो उसे यम का शाशन प्राप्त होता हे। एसे दोषित ब्रामहन क्षत्रिय मुर्त्यु के अड़भूत हो जाते हे ओर यम यात्रा को प्राप्त करते हे।
महमारी के अकाल मुर्त्यु के बाद कोनसी आत्मा कोनसी योनि मे भटकती हे जानिए।
जो अपने कर्मों का परित्याग कथा जीतने मुख का परित्याग करता हे ओर दूसरे क्रम के मोहित रहता हे वो नीश्रित ही अकाल मुर्त्यु उसे प्रपात होती हे। जो व्यतक्ति दिन गरीबो की सेवा करता नहीं होता हे ओर कर्म करता हे वो भी नीश्रित समय से पहले से ही यमलोक जाता हे । आइए जानते हे अमहमारी के अकाल मुर्त्यु के बाद कोनसी आत्मा कोनसी योनि मे भटकती हे। गरुड पुराण मे बताया गया हे की जो भी पुरुष महामारी के कारण जो भी मुर्त्यु करता हे, तो वे भूत, प्रेत, विषाद बेतलीया क्षत्रपालि मे बटकता रहता हे। जब भी कोई स्त्री अकाल मुर्त्यु मे प्राप्त करती हे वो भी एसी प्रकार की योनीमे भटकती हे लेकिन उसे अलग अलग से नमो से उसे जाना जाता हे, जैसे की कोई नवयुग की स्त्री या फिर प्रसूता अकाल मुर्त्यु को प्राप्त करती हे तो वे सूड़ेल बन जाती हे। वही कोई कुवरी कन्या की मुर्त्यु हो जाती हे तो उसे देवी योनीमे भटकना रहना पड़ता हे। इसके अलावा गरुड पुराण मे महामारी के कारण ओर असमय मृत्यु के कारणो से मृत आत्मा को शांति हेतु के लिए कई सारे उपाय बताए गए हे।
गरुड पुराण मे ये भी बताया गया हे की महामारी के कारण मुर्त्यु को प्राप्त करने वाले हेतु उनके परिवार जनोको नदी या फिर तलाव मे दर्पण करना चाहिए। साथ ही मूर्त आत्मा की इच्छा की फ्रूटी के लिए पिंडदान अथवा सत्कर्म को जैसे दान पुण्य करने के लिए अथवा गीता का पाठ करना चाहिए। ये करी कम से कम 3 वर्षो तक होते रहने चाहिए। साथी वर्सि आने पर भूखे बालको ओर ब्रामहोने को भोजन खिलाना चाहिए। ताकि मृत आत्मा को जल्द से जल्द आत्मा को शांति मिल सके। वैसे कोरोना जैसी महामारी या फिर कोई दुर्घटना,रोग या आँय कारनोसर कोई मृत्यु हो जाये तो उसको रोकने के लिए हमारे हाथेमे तो नहीं हे। लेकिन मुर्त्यु के परिजनों के द्रारा यदि विधि विधान से मुर्त्यु को अंतिम संस्कार या फिर श्राद्ध कर्म किए जाये तो उसे जल्दी ही मुक्ति मिल जाती हे। तो मित्रो उम्मीद करते हे की हमारा आजका गरुड पुराण की बाते आपको जरूर पसंद आई होंगी।